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12 लेखनी आधे अधूरे मिसरे -प्रसिद्ध पंक्तियाँ काब्य प्रतियोगिता-09-Jul-2023 कई दिनौ तक चूल्हा रो

          शीर्षक :-  कई दिनौ तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास



 कई दिनौ तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास।
बाढ़ के पानी ने सब कुछ  कर डाला सत्यानाश। ।
पशुधन  बह गया बाढ़ के पानी में रही न उनकी याद।
महल वाले तम्बू में बैठे अब करते हैं ईश्वर को याद।।
खाना भी आज नसीब हुआ  है कई  दिनौ के  बाद।
आँखें भी भर आई है कर कर पिछले दिनौ की  याद।।
हे ईश्वर ऐसी मुसीबत और किसी पर कभी ना आए।
सबको भरपेट भोजन मिले कोई  भूखा ना सो पाए।।
सबको मिले इस दुनियाँ  में रोटी कपड़ा और मकान।
जल्दी से बन जाए  दुनियाँ में मेरा देश सब देशौ से महान।।

आधे अधूरे मिसरे/प्रसिद्ध पंक्तियाँ प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा "पचौरी"



 

 

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